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बिहार की बात करें तो विनोद 3:00 बजे कोरोनावायरस मारी संक्रमित मरीजों को इलाज में लगे डॉक्टर का कहना है कि प्राप्त आइसोलेशन पाटिया परीक्षा उपाय दूर उन्हें सबसे बुनियादी चीजों पर मार्क्स और सैनिटाइजर तक उपलब्ध करानी चाहिए
आपको बता दें कि 13 मार्च से लेकर 21 मार्च के बीच बिहार में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले बंदे हैं कि 21 लोगों के जन गई थी जिसमें से रोना से पीड़ित की संख्या सुनने थी
जिसके बाद वहीं पर 22 मार्च से लेकर 22 मार्च के बीच 6 दिनों में लगभग आपको 544 सैंपल की जांच की गई जिसमें से आपको 9 लोग कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए जिसमें से सबसे ज्यादा मामले पटना से शामिल हुए हैं.
और वही पर बात करें कि पटना ने चार लोगों की मुंगेर में तीन और नालंदा वर्तमान में एक से एक व्यक्ति को करो ना मिला है. इनमें से कम से कम 4 लोगों ऐसे हैं जिसमें से संक्रमण एक ही मरीज से फैला है.
शादी की सर से पांव तक मुंगेर में लौटे 38 वर्षीय को किडनी में तकलीफ थी जिसमें से अब कुछ शिकायत पर मुंगेर से लेकर पटना तक 4 अस्पतालों में भर्ती कराया गया था, लेकिन उसी में से आपको कहीं ना कहीं उनकी कोरोनावायरस से संक्रमित की जांच की गई जिसमें से आपको सिफारिश नहीं की गई थी.
चेक को पटना में एप्प में भर्ती कराया गया था, तो 1 दिन बाद उसका सैंपल जांच के लिए पटना ही राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में भेजा गया था लेकिन जांच के रिपोर्ट के आने से पहले ही उनकी मौत हो गई.
तब उनको बताया जाता है कि मरने से पहले ही संत ने कम से कम 5 लोगों से मुलाकात की थी जिसमें से सभी का सैंपल जांच के लिए भेजा गया था जिसमें से चार लोगों को कोरोनावायरस शंकर नीति मिला है तो 2 लोगों को सैंपल रिश्तेदार है.
स्वस्थ विभाग के अनुसार एक अधिकारी के मुताबिक 9 में से 5 लोगों को संक्रमित विदेश में आए संक्रमित मरीज से फैला है.
वहीं पर बात करी कि इसी तरह के संक्रमण को अस्थाई संक्रमण कहा जाता है और जो संक्रमण का दूसरा चरण है. जानवरों का मानना है कि अगर इससे यही नहीं रोका गया तो स्तर पर फैलने से रोकना नामुमकिन हो जाएगी.
बिहार में 9 दिन बाद रहे हैं कोरोनावायरस से संक्रमित बीमारी इसी के मामले बताते हैं कि यहां पर हालात रंगीन होने वाले हैं लेकिन बिहार सरकार की तैयारियां ना कामयाबी नजर आ रही है
इसी के अनुसार आपको बता दें कि प्रजापत आइसोलेशन बड़े या सुरक्षा उपाय तो दूसरा कोरोनावायरस से मरीजों को इलाज में लगे हैं जो डॉक्टरों का तो कहना है कि उन्हें सबसे बुनियादी चीजों और सेनीटाइजर तक उपलब्ध नहीं कराया गया है.
भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय के इंटरनल में कोरोनावायरस के संदीप मरीजों को इलाज के लिए एन 95 मार्क्स और पर्सनल प्रोटेक्टिव इकीमैन पीपीई की मांग की , तो अस्पताल प्रबंधन ने आदेश जारी कर कहा कि मरीजों में इलाज के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च आईसीएमआर के दिशा निर्देश में n95 मार्क्स और पीपीई आवश्यकता नहीं है ।
हालांकि, जूनियर डॉक्टर के अनुसार रोज के बाद जो एन 95 माह और दो कीट उपलब्ध कराया गया है
उसके बाद जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय की जूनियर डॉक्टर अमित आनंद ने बताते हुए कहते हैं कि, अस्पतालों में लगभग डॉक्टर कार्य करता है । हालांकि, हम लोगों की ड्यूटी आइसोलेशन वार्ड में नहीं है, लेकिन इमरजेंसी व अन्य विभागों में जो मरीज आते हैं उसमें से कोरोनावायरस बन कर ली थी या फिर हम नहीं जानते हैं कि इसलिए संक्रमण का खतरा रहता है।
उन्होंने आगे कहा है,। हम लोगों को लोगों ने दिन पहले ही प्रबंधन से मार्क्स और सीट देने की मांग की थी. जिसमें से मांगते हुए अभी दो मार्क्स और दो कीट दिए गए हैं . प्रबंधन ने आसन दिया है कि एक-दो इन्होंने और मार्क्स व कीट आएंगे
बिहार सरकार की तरफ से पूर्णा अकाल घोषित किया गया है जिसमें से नालंदा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल n मार्क्स–83 जूनियर डॉक्टरों ने 10 मार्च को अस्पताल प्रबंधन को पत्र लिखकर दो हफ्ते में होम काउंटर घर पर अलग रहने की अपील की है.
आपको बता दें कि एनएमसीएच में पुराना वायरस स्वीकृत 7 मरीज भर्ती है जबकि हम से कम 100 मरीजों में रोना वायरस के लक्षण दिखा रहे हैं.
डॉक्टरों की कहना है कि उन्हें अस्पताल प्रबंधन की तरफ से मां सेनीटाइजर और किसी की नहीं किया गया है जिसमें से कारण क्रोना वायरस से ग्रस्त मरीजों का इलाज करने में उन्हें भी संक्रमित के लक्षण नजर आने लगे हैं.
23 मार्च के पत्र का कोई जवाब नहीं मिलने के बाद 25 तारीख को जूनियर डॉक्टरों ने स्वस्थ विभाग के प्रधान सचिव को दोबारा पत्र लिखा
डॉक्टरों ने लिखा है कि पीपीई कीट, n95 रिमार्क्स और हैंड सेनीटाइजर नहीं होने के कारण क्रोना अस्पताल में कार्यकर्ता सभी चिकित्सक स्वास्थ्य कर्मी और सुरक्षाकर्मियों में डर का हौसला है बना है जिनमें से एनएमसीएच करुणा अस्पताल है, लेकिन इसका आइसोलेशन वार्ड खुद सुरक्षित नहीं है तो कोरोनावायरस से ग्रस्त मरीज और उनके परिजन खुलेआम वार्ड में घूम रहे हैं जिससे संक्रमण बढ़ने का खतरा अभी है.
पीएच के जूनियर डॉक्टर ने एसोसिएट के अध्यक्ष रवि आरके रमन ने कहते हैं, हम काम तारीख की मांग पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, के बावजूद हम लोग काम कर ही रहे हैं लेकिन जिस में से डॉक्टरों को टर्न लक्षण चैता दिख रहे थे उन्होंने दवाई ली है ,लेकिन काम बंद नहीं किया है.
रवी रमन आगे बताते हैं, हम लोगों ने पेंटिंग की मांग अस्पताल से ही ऑन ड्यूटी डॉक्टरों की सलाह पर की थी क्योंकि आराम करने पर ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है लेकिन अब तक इन पर कोई बात नहीं हुई है जो हम लोगों काम करने की तैयारी है और कर ही रहे हैं, बस इतनी है कि कोरोनावायरस से ग्रस्त मरीजों को इलाज में लगे डॉक्टर पीपीई , n95 मस्क सेनीटाइजर उपलब्ध कराए जाएंगे
आपको बता दें एनएमसीएच अस्पताल के जूनियर डॉक्टर ने बताया कि इतने रंगीन हालत के बावजूद एंड पंचानवे मार्क्स और पीपीई किट की जगह 17 मार्च को ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाला प्रोटेक्शन कीट दिया गया है।
कई सदर अस्पताल के अभी बताया है कि उन्हें मार्क्स और सेनीटाइजर वह नहीं कराया गया है।
डॉक्टर की सुरक्षा के लिए मार्क्स, पीपीई और सेनीटाइजर बिहार में इकलौती समस्या नहीं है बल्कि विदेशों में लव टू ऐसे लोगों की तलाश करना भी सरकार के लिए चुनौती है जो करुणा वायरस से ग्रस्त हो सकते हैं।
सच यह है कि 15 जनवरी के बाद 1644 7 लोगों की बिहार लौटे हैं जिसमें से एक बड़ी तादाद को बिहार सरकार ट्रैक नहीं कर पा रही है।
लेकिन लेकिन लेकिन बिहार सरकार ने विदेश से लौटे लोगों की स्क्रीन के लिए एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया था. विभाग एक अधिकारी बताते हैं कि, विदेश से लौटे 45 लोगों ने टोल फ्री नंबर पर कॉल किया पंजीकरण कराया जिसमें से 210 लोग 14 दिनों का होम काउंटर पूरा कर चुके हैं.
फिर आपकी अनुसार विदेश से लौटे थे शिनाख्त नहीं होना एक बड़ी चुकता कारण बन सकता है, क्योंकि मुंगेर के रहने वाले सैफ के मामले में भी ऐसा हुआ था, जिसका नतीजा यह निकला कि सबसे संक्रमण में आने वाले कई और लोग कोरोनावायरस से संक्रमित हो गए.
मुंगेर के सिविल सर्जन डॉ पुरुस्तम कुमार बताते हैं कि बताते हैं, सैफ जब कस्तूर से से लौटा था, तब तक हमारे पास सरकार की तरफ से ऐसा कोई निर्देश नहीं आया था कि देश में आने वाले लोगों तक पहुंचा जाए और उनकी स्क्रीनिंग की जाए।
उन्होंने आगे बताया है की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद गांव को सील कर दिया गया है और प्रशासन गांव में हर तरह की सुविधा मुहैया कराया रहा है
विदेश से लौटे लोगों की दिनांक 7 के सवाल पर स्टेट सर्विस क्लास रागिनी मिश्रा ने मीडिया बताया कि इन लोगों को पता लगाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की मदद ली जाएगी.
बिहार सरकार के अनुसार सभी 19100 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्वास्थ्य केंद्र और लगभग एक दर्जन मेडिकल कॉलेज है.
स्वास्थ विभाग के हर सदर अस्पताल, पीएचसी और मेडिकल कॉलेज में क्रोना मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाने को कहा है. अगर इन मेडिकल कॉलेज व स्वास्थ्य केंद्रों पूरा क्या चाय तो भी कुछ हजार से ज्यादा बड़े नहीं लगाई जाए सकते हैं.
ऐसे में अगर बिहार में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ जाता है तो उनके लिए आइसोलेशन वार्ड की कमी पड़ जाएगी.
प्रबंधन के अनुसार चक बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे को फोन किया गया, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया उन्हें सवाल की सूची में लिखी गई है जिसमें से जवाब आने पर उसे रिपोर्ट में जोड़ा जाएगा.
21 दिन का लॉक डाउन शुरू होने के बाद बिहार सरकार लोगों के घरों में रहने की अपील कर रही है और अस्पतालों में दबाव न पड़े इसके लिए ऐसे लोगों की हम अकाउंट पर करने को कहा रही है जिसमें से कोरोनावायरस के संक्रमण लक्षण दिखते हैं.
सरकार ने फॉर्म भी बनवाया है इस को सभी घरों में चुकाया जाए जिनके यहां पहाड़ से आए हुए लोग जा रहे हैं उनको सूचीबद्ध तरीके से करवाई किया जाए.
स्वस्थ विभाग के एक अधिकारी ने बताया है कि इस फॉर्म में संदीप व्यक्ति का नाम लिखा होगा रोज उन व्यक्ति से बात करने अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे.
लेकिन जानकारों ने इस पर सवाल उठाया है. अर्शशास्त्री डीएम दिवाकर कहते हैं, बिहार की 88% आबादी गांव में ही बसती है और उन्हें से आज 8 से 10 की आबादी के पास दो या उनसे अधिक कमरे का मकान है. इन मकानों में रहने वाले होम काउंटर का पालन कर सकते हैं लेकिन बाकी 78 से 80 फ़ीसदी आबादी के पास एक कमरे वाला मकान है. जिनके लिए यह असंभव है.
इस बीच कोरोनावायरस के संक्रमण की संता के मधे नजर दूसरे राज्य के लौटने काम कारों को गांव में आने नहीं दिया जा रहा है. उन्हें पहले अस्पतालों में जांच कराने की हिदायत भी दी जा रही है या 14 दिन बाहर रहने की रहा है.
इस स्थिति में ने के लिए बिहार सरकार ने गांव के स्कूलों को करंट टाइम सेंटर बनाने का आदेश दिया है. दूसरे का अच्छे से आने वाले को यहां रख जाएगा और सरकार उनके खाने-पीने की व्यवस्था करेगी.
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Posted by vicky sir
Swedish krona/Countries
The Swedish Krona has been the currency of Sweden since 1873. It is issued by the Swedish central bank, Sveriges Riksbank. In English, the currency is sometimes referred to as the Swedish crown (Krona means crown in Swedish). One Krona is subdivided into 100 öre.
noun, plural kro·nor [kroh-nawr].
a silver and cupronickel coin and monetary unit of Sweden, equal to 100 öre.
Swedish krona
Sweden/Currencies
The monetary unit in Sweden is the krona SEK (plural “kronor”) and equals 100 öre. Bank notes are printed in values of 20, 50, 100, 200, 500 and 1,000 kronor. The coin is available as 1, 2, 5 and 10 kronor.
As of 2014, the names of the currencies in each country have remained unchanged (“krona” in Sweden, “krone” in Norway and Denmark
listen); plural: kronor; sign: kr; code: SEK) is the official currency of Sweden. … In English, the currency is sometimes referred to as the Swedish crown, as krona literally means “crown” in Swedish