Pm National Bamboo Mission 2023, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बास मिशन ।

By SANJEET KUMAR

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The Pm National Bamboo Mission is a program launched by Prime Minister Narendra Modi to reduce the use of plastic and promote the use of bamboo as an alternative. The mission aims to decrease the use of plastic and increase the use of bamboo to create various materials that can replace those made from plastic. This will help to reduce the amount of plastic waste in the country and promote sustainable living. The mission also aims to create employment opportunities and improve the livelihoods of people in rural areas by encouraging the cultivation of bamboo.

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बांस योजना के तहत सरकार बांस के रोपण को प्रोत्साहित करेगी और बांस की खेती करने वाले किसानों को ₹120 प्रति पौधे के रूप में आर्थिक मदद के तौर पर दिया जाएगा । इस योजना का नाम राष्ट्रीय बंबू मिशन ( Pm National Baboo Mission ) रखा गया है ।

इस योजना के तहत सरकार किसानों को एक बांस का पौधा लगाने पर ₹120 का अनुदान प्रदान करेगी , अगर कोई व्यक्ति इसका बिजनेस करना चाहता है तो सरकार के द्वारा सब्सिडी के तौर पर अनुदान दिए जाने की व्यवस्था भी की गई है । इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करना या फिर सिंगल यूज़ प्लास्टिक को पूरी तरह से बंद करना है ।

नोट :- खादी ग्रामोद्योग आयोग के द्वारा बांस की बोतल भी लांच की गई है यानी आप समझ सकते हैं बस एक ऐसा प्राकृतिक स्रोत बन चुका है जिसे हम बहुत सारे पदार्थ बना सकते हैं जहां पर हम प्लास्टिक का उपयोग करते हैं वहां पर बांस से भी काम किया जा सकता है ।

Pm National Bamboo Mission

Contents

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राष्ट्रीय बंबू मिशन की आवश्यकता /National Bamboo Mission

अगर अब भारत सरकार के द्वारा चलाई गई राष्ट्रीय बंबू मिशन के तहत लाभ लेना चाहते हैं या फिर राष्ट्रीय बंबू मिशन में शामिल होना चाहते हैं तो इसकी भी जानकारी हम आपको देने जा रहे हैं । अगर आप इस मिशन के तहत शामिल होकर अपना एक अच्छा बिजनेस सेटअप स्टार्ट करना चाहते हैं तो यह मिशन आप लोगों के लिए काफी अच्छा हो सकता है , क्योंकि यही एक ऐसा जरिया है जिसकी बदौलत प्लास्टिक के उपयोग को कम किया जा सकता है और इसके ही बदौलत प्लास्टिक के इस्तेमाल को पूरी तरह से खत्म भी की जा सकती है ।

प्लास्टिक का ज्यादा उपयोग हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक है सरकार राष्ट्रीय बंबू मिशन के तहत बांस की खेती और इसकी बिजनेस को काफी ज्यादा बढ़ावा दे रही है ।

सरकार के द्वारा बांस की खेती और बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक जिले में एक अधिकारी तैनात किया गया है बंबू मिशन एग्रीकल्चर , फॉरेस्ट और इंडस्ट्री विभाग को सौंपा गया है ।

PM National Bamboo Mission Highlights

योजना का नाम राष्ट्रीय बंबू मिशन 
शुरू किया गया केंद्र सरकार के द्वारा
विभाग कृषि और किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार
 लाभार्थी देश का हर एक किसान
लाभ किसानों को बांस की खेती करने के लिए प्रेरित करना और उन्हें  इसके लिए आर्थिक मदद उपलब्ध कराना
उद्देश्य दुनिया में बढ़ रहे हैं प्लास्टिक की खपत को कम करना और उसे बांस के साथ रिप्लेस करना
 राज्य पूरे भारत में लागू
 स्टेटस चालू
आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन के माध्यम से
Official Website Click Here

बांस से क्या-क्या बनाए जा सकते हैं ?

आप लोगों को बहुत अच्छे से पता है कि बांस का हमारे दैनिक जीवन में कितना सारा उपयोग है अगर आप ग्रामीण इलाके से बिलॉन्ग करते हैं तो इसकी जानकारी आपको काफी अच्छे से होगी ।
आजकल तो बांस के द्वारा पानी का बोतल भी बनाया जा रहा है , बांस के द्वारा काफी अच्छे अच्छे फर्नीचर भी बनाए जा रहे हैं , बांस के प्रयोग से हैंडीक्राफ्ट चीजें भी बनाई जा रही है और इसके प्रयोग से ज्वेलरी आदि जैसे सामान भी बनाए जा रहे हैं और प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करने या प्लास्टिक के इस्तेमाल को खत्म करने के लिए बांस के द्वारा बनाई गई इन चीजों का इस्तेमाल भी बढ़ रहा है लोग इसे पसंद भी करना शुरू कर चुके हैं , ऐसे में राष्ट्रीय बंबू मिशन के साथ जुड़ना आपके लिए एक फायदे का सौदा हो सकता है । अभी बांस की खेती सबसे अधिक चीन और वियतनाम में की जा रही है लेकिन भारत सरकार के राष्ट्रीय बंबू मिशन के आ जाने से भारत में भी बांस की खेती कहीं ना कहीं आने वाले समय में काफी ज्यादा बढ़ेगी , चीन और वियतनाम के द्वारा बांस के बहुत सारे ऐसे प्रोडक्ट बनाए जाते हैं और अनेकों देशों में बेचे भी जाते हैं ।

Pm National Bamboo Mission , प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बांस योजना क्या है

राष्ट्रीय बंबू मिशन के अंतर्गत सब्सिडी/ Subsidy In National Bamboo Mission

राष्ट्रीय बंबू मिशन के अंतर्गत सरकार के द्वारा किसानों को अलग-अलग प्रकार से सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है ।

  • राष्ट्रीय बंबू मिशन के अंतर्गत एक आंकड़े के अनुसार 3 वर्षों में औसतन ₹240 प्रति प्लांट की लागत आएगी जिसके तहत सरकार के द्वारा ₹120 प्रति प्लांट किसानों को सब्सिडी के रूप में दिया जाएगा ।
  • नॉर्थ ईस्ट को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में बांस की खेती के लिए सरकार 50 फ़ीसदी रकम चुकाएगी और 50 फ़ीसदी रकम किसान को अपनी ओर से देना होगा ।
  • प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बंबू योजना ( Pm National Bamboo Mission ) के तहत हर एक जिले में नोडल अधिकारी बनाया गया है योजना से संबंधित अधिक जानकारी आप अपने नोडल अधिकारी से भी प्राप्त कर सकते हैं ।
  • किसानों को जो 50 फ़ीसदी की सब्सिडी दी जाएगी उसमें 60 फ़ीसदी की सब्सिडी केंद्र सरकार की और 40 फ़ीसदी की सब्सिडी राज्य सरकार की होगी ! जबकि नॉर्थ ईस्ट के इलाकों के लिए यह रकम 60 फ़ीसदी सरकार और 40 फ़ीसदी किसान का रहेगा
  • नार्थ ईस्ट के किसानों के लिए जो 60 फ़ीसदी सब्सिडी दी जाएगी उसमें से 90 फ़ीसदी का भुगतान केंद्र सरकार के द्वारा और 10 फ़ीसदी का भुगतान राज्य सरकार के द्वारा किया जाएगा ।

राष्ट्रीय बांस योजना से की जा सकती हैं जबरदस्त कमाई । प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बंबू मिशन ।

जैसे कि अब तक आप लोगों को पता चल गया होगा आने वाले समय में बांस की मांग कितनी ज्यादा होने वाली है, तो इसमें कमाई का भी अच्छा मौका आप लोगों के सामने है। यदि बात की जाए तो एक हैक्टेयर में लगभग 15 से 2500 बांस के पौधे लगाए जा सकते हैं , एक से दूसरे पौधे की बीच की दूरी लगभग 2.5 मीटर की रखनी होती है इस हिसाब से देखा जाए तो एक हेक्टेयर में करीबन 1500 पौधे लगाए जा सकते हैं ( यह संख्या बढ़ाई भी जा सकती है अगर पौधों की बीच की दूरी कम कर दी जाए तो ) ।

एक पौधे से दूसरे पौधे की बीच की दूरी जो 2.5 मीटर की होती है इस बीच की दूरी में आप दूसरे फसल भी ऊगा जा सकते हैं और इससे भी कमाई की जा सकती है । इस हिसाब से अगर मुनाफे की बात करें तो 4 साल बाद 3 से 3.5 लाख रुपए की कमाई तो बहुत ही आसानी से हो जाएगी और आपने जो अतिरिक्त पौधे लगाए हैं उससे भी कमाई की जा सकती है । बांस की खेती में सबसे बड़ी यह बात होती है कि इसके अंतर्गत हर साल प्लांटेशन नहीं करनी होती है क्योंकि बांस की खेती लगभग 40 वर्ष तक चलती है ।

नोट :- अगर आप भी बांस की खेती करना चाहते हैं तो आज ही अपने नोडल ऑफिसर से संपर्क कर इसके लिए आवेदन करें सरकार से सब्सिडी प्राप्त कर बांस की खेती शुरू कर दें ।

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बंबू मिशन के लिए ऑनलाइन आवेदन किस प्रकार से करें ?

Farmer Registration Under National Bamboo Mission अगर आप भी प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बंबू मिशन के तहत अपना रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको निम्नलिखित प्रक्रिया अपनानी होगी ।

Registration Under National Bamboo Mission

  • सबसे पहले आपको Pm National Bamboo Mission की आधिकारिक वेबसाइट https://nbm.nic.in/ पर जाना होगा , वेबसाइट पर जाने के लिए यहां क्लिक करें ।
  • जैसे ही आप वेबसाइट पर जाएंगे आपको सबसे ऊपर में Farmer Registration का एक लिंक दिखेगा ।
  • आपको Farmer Registration के लिंक पर क्लिक करना है जैसे ही आप क्लिक करेंगे आपके सामने रजिस्ट्रेशन पेज खुल कर आ जाएगा जैसा नीचे दिखाया गया है ।

Pm National Bamboo Mission , प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बांस योजना क्या है

  • रजिस्ट्रेशन फॉर्म में आपको अपनी जानकारी दर्ज करनी होगी सबसे पहले अपने राज्य का चयन , उसके बाद अपने जिला का चयन , और तहसील का चयन करने के बाद आपको अपने गांव का चयन करना होगा । अब आपको फाइनेंसियल ईयर की जानकारी दर्ज करनी होगी फार्मर का नाम दर्ज कर कुछ जानकारी दर्ज करनी होगी ।
  • ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और किसान की कैटेगरी दर्ज कर पिन कोड डाल अपना रजिस्ट्रेशन कर लेना होगा ।
  • Is Aadhaar card & Bank Account linked का एक ऑप्शन देखने को मिला होगा अगर आपके आधार कार्ड के साथ आपका बैंक अकाउंट लिंक है तो उस पर आप को ठीक कर सबमिट कर देंगे ।
  • Form Submit करते ही आपका रजिस्ट्रेशन राष्ट्रीय बंबू मिशन के अंतर्गत हो चुका है और अधिक जानकारी के लिए आप संबंधित अधिकारी या नोडल ऑफिसर से भी संपर्क कर सकते हैं ।

FAQ Pm National Bamboo Mission 2023

Q 1. क्या बांस एक पेड़ है?

नहीं, बांस एक घास है, जो तेजी से बढ़ती है, और आमतौर पर लकड़ी की होती है।

Q 2. क्या बांस और रतन (बेंत) एक ही हैं?

नहीं, रतन और बांस अलग-अलग वनस्पति परिवारों से संबंधित हैं, अलग-अलग गुण हैं, और अलग-अलग तरीकों से प्रचारित और उगाए जाते हैं। रतन एक हथेली है, आमतौर पर एक पर्वतारोही और ठोस, जबकि बांस एक घास है, और आमतौर पर एक खोखला सिलेंडर है। बांस आसानी से और बहुत जल्दी बढ़ता है। बेंत एक पर्वतारोही है, इसके लिए एकांत वातावरण की आवश्यकता होती है, और इसकी गर्भधारण अवधि लंबी होती है। बाँस के सभी पौधे, जड़ से लेकर कल्म और पत्तियों तक, विभिन्न तरीकों से उपयोग किए जाते हैं। मूलतः रतन के पौधे के तने का ही प्रयोग किया जाता है।

Q 3. मैं बांस को फैलने से कैसे रोक सकता हूँ?

बांस एक प्राकृतिक प्रसारक है क्योंकि प्रकंद पोषक स्रोतों की ओर बढ़ते हैं। एक सरल रोकथाम विधि एक खाई खोदना है, अधिमानतः झुरमुट के मूल से कम से कम 3-4 मीटर की दूरी पर। खाई इतनी गहरी होनी चाहिए कि प्रकंद के फैलाव को रोक सके, सामान्यतया मध्यम व्यास की प्रजातियों के लिए कम से कम 90 सेमी। घर के बगीचों के लिए, पॉलीथिन शीट का उपयोग प्रकंद, या एक धातु अवरोध को घेरने के लिए किया जा सकता है।

Q 4. बांस की गोली क्या है?

बाँस की टहनी उस समय काटा गया एक युवा कल्म है, या मिट्टी की सतह के ऊपर दिखाई देने के कुछ ही समय बाद। इस अवस्था में यह खाने के लिए पर्याप्त नरम होता है। अकेला छोड़ दिया, यह तेजी से एक वुडी कल्म में विकसित होगा। बांस के अंकुर पोषण और फाइबर का एक मूल्यवान स्रोत हैं, और पूरी दुनिया में पसंद किए जाते हैं।

Q 5. क्या भारत में हर जगह बांस उगता है?

हां, बांस देश के हर राज्य में और हर क्षेत्र में, बेहद गर्म और ठंडे रेगिस्तानों को छोड़कर, उदाहरण के लिए पश्चिमी राजस्थान और लद्दाख में स्वाभाविक रूप से उगता है।

Q 6. भाग्यशाली बांस क्या है?

‘लकी बांस’ एक लोकप्रिय पौधा है, जो दुकानों और दुकानों में तेजी से उपलब्ध है। संयंत्र शायद पश्चिम अफ्रीकी मूल का है। इसे बनाए रखना आसान है। यह कुछ इंच पानी में मिट्टी के बिना पनपता है, और इसे बढ़ने के लिए केवल थोड़ी सी धूप की आवश्यकता होती है। हालांकि यह बांस नहीं है। यह लिली परिवार का एक सदस्य ड्रैसेनिया सैंडरियाना है।

Q 7. क्या मैं बांस की हेज उगा सकता हूं?

हां, बांस का उपयोग परंपरागत रूप से स्क्रीन और हेजेज और यहां तक ​​कि विंडब्रेक बनाने के लिए किया जाता रहा है। बंबुसा मल्टीप्लेक्स हेजेज के लिए एक अच्छा बांस है। यह एक मध्यम आकार का बाँस है जिसमें बारीकी से पतले कल्म होते हैं, और बहुत घनी वृद्धि की आदत होती है। इसे उगाना और बनाए रखना आसान है, और छंटाई के लिए अच्छी प्रतिक्रिया देता है।

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ध्यान दें :- ऐसे ही केंद्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा शुरू की गई नई या पुरानी सरकारी योजनाओं की जानकारी हम सबसे पहले अपने इस वेबसाइटcscdigitalsevasolutions.com के माध्यम से देते हैं तो आप हमारे वेबसाइट को फॉलो करना ना भूलें ।

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इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद…

Posted by Sanjit Gupta

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Kisan Online Registration Pm kisan Name update

✔️ क्या बांस एक पेड़ है?

नहीं, बांस एक घास है, जो तेजी से बढ़ती है, और आमतौर पर लकड़ी की होती है।

✔️ क्या बांस और रतन (बेंत) एक ही हैं?

नहीं, रतन और बांस अलग-अलग वनस्पति परिवारों से संबंधित हैं, अलग-अलग गुण हैं, और अलग-अलग तरीकों से प्रचारित और उगाए जाते हैं। रतन एक हथेली है, आमतौर पर एक पर्वतारोही और ठोस, जबकि बांस एक घास है, और आमतौर पर एक खोखला सिलेंडर है। बांस आसानी से और बहुत जल्दी बढ़ता है। बेंत एक पर्वतारोही है, इसके लिए एकांत वातावरण की आवश्यकता होती है, और इसकी गर्भधारण अवधि लंबी होती है। बाँस के सभी पौधे, जड़ से लेकर कल्म और पत्तियों तक, विभिन्न तरीकों से उपयोग किए जाते हैं। मूलतः रतन के पौधे के तने का ही प्रयोग किया जाता है।

✔️ मैं बांस को फैलने से कैसे रोक सकता हूँ?

बांस एक प्राकृतिक प्रसारक है क्योंकि प्रकंद पोषक स्रोतों की ओर बढ़ते हैं। एक सरल रोकथाम विधि एक खाई खोदना है, अधिमानतः झुरमुट के मूल से कम से कम 3-4 मीटर की दूरी पर। खाई इतनी गहरी होनी चाहिए कि प्रकंद के फैलाव को रोक सके, सामान्यतया मध्यम व्यास की प्रजातियों के लिए कम से कम 90 सेमी। घर के बगीचों के लिए, पॉलीथिन शीट का उपयोग प्रकंद, या एक धातु अवरोध को घेरने के लिए किया जा सकता है।

✔️ क्या भारत में हर जगह बांस उगता है?

हां, बांस देश के हर राज्य में और हर क्षेत्र में, बेहद गर्म और ठंडे रेगिस्तानों को छोड़कर, उदाहरण के लिए पश्चिमी राजस्थान और लद्दाख में स्वाभाविक रूप से उगता है।

✔️ क्या मैं बांस की हेज उगा सकता हूं?

हां, बांस का उपयोग परंपरागत रूप से स्क्रीन और हेजेज और यहां तक ​​कि विंडब्रेक बनाने के लिए किया जाता रहा है। बंबुसा मल्टीप्लेक्स हेजेज के लिए एक अच्छा बांस है। यह एक मध्यम आकार का बाँस है जिसमें बारीकी से पतले कल्म होते हैं, और बहुत घनी वृद्धि की आदत होती है। इसे उगाना और बनाए रखना आसान है, और छंटाई के लिए अच्छी प्रतिक्रिया देता है।

Sanjeet Kumar is a graduate of Journalism, Psychology, and English. Passionate about communication - with words spoken and unspoken, written and unwritten - he looks forward to learning and growing at every opportunity. Pursuing a Post-graduate Diploma in Translation Studies, he aims to do his part in saving the 'lost…

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